।माझा विठु।
Saturday, June 30, 2012
Wednesday, June 20, 2012
कई दिनो से एक छुपी मुराद थी
जो दिल के हर तावदान से झाक कर देखा करती,
हर उस मौके पर मुझसे पुच्छा करती,
इस तऱ्ह कि दौड से क्या हासील हुआ, कोई नयी राह भी तोह मिल सक्ती है....
-आदित्य
Tuesday, June 5, 2012
हमारे हाथो बस "लाठी" है.....
खून हमारा उबल्ता प्याला,जलती अपनी माटी है,
दुश्मन हमारे बम लेकर पर हमारे हाथो लाठी है......
पाक बनकर पैसा छिना, दामन लुटे, इझ्झत लुटी,
आज फिर भी चौडी हमारी छाती है,
दुश्मन हमारे बम लेकर पर हमारे हाथो लाठी है.
वंग भाई केह्कर गंगा बाटी, नादिया बाटी,
पानी हमारा हक़ तुम्हारा जैसे हमारी रोटी तुमसे आती है,
तुम्ह्रे दर्द पर मरहम देने हम तोः हमेशा हाझीर थे,
जो घुस्पेठी और दगेबाझी मे आप ही हमसे शातिर थे,
दुश्मन तोः सब हमारे बम लेकर पर हमारे हाथो लाठी है.......
लंका ने तोः कहर किया ,तमिलिओ को झेहेर दिया
अभी भी मच्च्वारो मे सिंहिका कि प्रती ताझी है
रावण सेना के नझर पडने पर आज भी जाने जाती है,
दुश्मन के हाथो मे बम ही है लेकीन हमारे हाथो अब भी लाठी है
इसिकी घृणा हमे आती है
कि क्यो अब भी हमारे हाथो लाठी ही है...:)
--आदित्य
दुश्मन हमारे बम लेकर पर हमारे हाथो लाठी है......
पाक बनकर पैसा छिना, दामन लुटे, इझ्झत लुटी,
आज फिर भी चौडी हमारी छाती है,
दुश्मन हमारे बम लेकर पर हमारे हाथो लाठी है.
वंग भाई केह्कर गंगा बाटी, नादिया बाटी,
पानी हमारा हक़ तुम्हारा जैसे हमारी रोटी तुमसे आती है,
तुम्ह्रे दर्द पर मरहम देने हम तोः हमेशा हाझीर थे,
जो घुस्पेठी और दगेबाझी मे आप ही हमसे शातिर थे,
दुश्मन तोः सब हमारे बम लेकर पर हमारे हाथो लाठी है.......
लंका ने तोः कहर किया ,तमिलिओ को झेहेर दिया
अभी भी मच्च्वारो मे सिंहिका कि प्रती ताझी है
रावण सेना के नझर पडने पर आज भी जाने जाती है,
दुश्मन के हाथो मे बम ही है लेकीन हमारे हाथो अब भी लाठी है
इसिकी घृणा हमे आती है
कि क्यो अब भी हमारे हाथो लाठी ही है...:)
--आदित्य